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Tuesday 18 December, 2007

पारिश्रमिक लेकर तिथि देता है अतिथि


जयप्रकाश चौकसे
Tuesday, December 18, 2007 01:35 [IST]

परद के पीछे.
राकेश रोशन की गैर रितिक फिल्म ‘क्रेजी 4’ में रितिक पर फिल्माए जाने वाले गीत की शूटिंग स्थगित कर दी गई है क्योंकि रितिक सिंगापुर में अपने घुटने का इलाज करा रहे हैं। रजनीकांत अभिनीत ‘शिवाजी’ के लिए प्रसिद्ध निर्देशक शंकर अपनी प्रस्तावित फिल्म ‘रोबोट’ की पटकथा रितिक को सुनाएंगे। ज्ञातव्य है कि यह फिल्म शाहरुख के लिए बनाने की बात तय हो चुकी थी और प्रारंभिक राशि भी मिल चुकी थी, परंतु मिजाज में अंतर के कारण समझौता रद्द हो गया। बहरहाल, खबर है कि राकेश रोशन ‘क्रेजी 4’ के आइटम के लिए शाहरुख से निवेदन करेंगे। फिल्मों में अतिथि भूमिका का चलन इस तरह प्रारंभ हुआ कि छोटी परंतु महत्वपूर्ण भूमिका के लिए व्यक्तिगत संबंधों के आधार पर बड़े सितारे से प्रार्थना की जाती थी और वह पारिश्रमिक नहीं लेता था। विगत वर्षो में अतिथि भूमिका के लिए धन लिया जाने लगा है, क्योंकि सितारे जानते हैं कि उनकी मौजूदगी फिल्म को अतिरिक्त आय दे रही है। कुछ निर्माताओं ने नारीप्रधान फिल्मों में अतिथि भूमिका को पटकथा से जोड़ा, क्योंकि इन्हें बेचने में कठिनाई होती है। मसलन बोनी कपूर ने अपनी करिश्मा कपूर अभिनीत ‘शक्ति’ में शाहरुख-ऐश्वर्या का आइटम शूट किया।
आजकल टेलीविजन पर प्रस्तुत प्रचार प्रोमो के लिए भी पटकथा के परे आइटम रचे जाते हैं और आयटम का मूल्य सितारे के कारण बढ़ता है। करण जौहर की पहली फिल्म ‘कुछ कुछ होता है’ में सलमान की अतिथि भूमिका के कारण उन्हें दिए गए नाममात्र के पारिश्रमिक से कई गुना अधिक मुनाफा हुआ। अत: यह अतिथि भूमिकाओं का चक्कर ‘देवो भव’ नहीं है, वरन बहुत बड़ा व्यवसाय है। कुछ अतिथि भूमिकाएं सचमुच निशुल्क होती हैं जैसे सलमान और कैटरीना अतुल अग्निहोत्री(सलमान की बहन अलवीरा के पति) की फिल्म में काम कर रहे हैं। शाहरुख ने अपनी फिल्म ‘ओम शांति ओम’ में दो दर्जन सितारे बुलाए, जिन्होंने कोई धन नहीं लिया, परंतु शाहरुख ने उन्हें अत्यंत महंगी घड़ियां भेंट में दीं। सितारे और उद्योगपति जिस तरह की घड़ियां उपहार में देते हैं, उनका मूल्य पांच से पंद्रह लाख रुपए प्रति घड़ी होता है। जिनका समय ही बलवान है, उन्हें इस राशि से क्या फर्क पड़ता है।
जब संजय दत्त ‘कांटे’ का निर्माण कर रहे थे, तब अमिताभ ने इस नाते कि सुनील दत्त ने उन्हें वर्ष 1971 में आई ‘रेशमा और शेरा’ में अवसर दिया था, उनसे पारिश्रमिक नहीं लिया, परंतु कुछ समय बाद ही अपनी फिल्म ‘विरुद्ध’ में संजय दत्त से अतिथि भूमिका करा ली। इस खेल में लेन-देन इस तरह भी होता है। यहां कोई चीज मुफ्त में नहीं मिलती, सिर्फ लेन-देन के स्वरूप बदल जाते हैं। इस तरह करेंसी अपनी परिभाषा के परे चली जाती है। अगर किसी ने आप पर दया दृष्टि डाली है तो समझ लीजिए कि किसी अदृश्य बहीखाते में आप पर एक हुंडी दर्ज कर ली गई है।
नायिकाएं भी नाप-तौलकर मुस्कराहट देती हैं, कहीं एक बटा चार इंच, कहीं गालों में दर्द पड़ जाए, वहां तक। होटलों और हवाईजहाजों की परिचारिकाएं सारे समय मुस्कराती रहती हैं, क्योंकि उन्हें इसी का वेतन मिलता है। टेलीविजन पर प्रस्तुत हास्य उद्योग के सारे सितारे घर जाकर अपने परिवार के लिए हंस नहीं पाते, क्योंकि हंसी का माद्दा बेचकर ही परिवार का पोषण हो रहा है। मुस्कान उद्योग में नेताओं की हंसी बहुत ही जहर भरी होती है।

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